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📢 Rights Ancestral Property 2025 New Update 📃
🙏 नमस्कार साथियों एवं मेरे प्यारे अभिभावक आप सबका हमारे इस लेख में हार्दिक स्वागत एवं अभिनंदन है। जैसा कि आप सब जानते हैं कि हमारे समाज में पैतृक संपत्ति को अचल संपत्ति परिवार के लिए मानी जाती है तो इसके बंटवारे का प्रक्रिया अधिकार और सावधानियां कौन सी किस तरह की होगी आपको इस लेख के माध्यम से पैतृक संपत्ति का बंटवारा 2025 के हुए नए नियम के बारे में संपूर्ण जानकारी हम आपसे साझा करने वाले हैं इन सारी जानकारी के लिए आप इस लेख को अंत तक पढ़े साथ ही अपने मित्र दोस्त रिश्तेदार एवं पड़ोसियों के साथ शेयर अवश्य करें जिससे लोगों को पैतृक संपत्ति का अधिकार जन एवं संपत्ति के बंटवारे की संपूर्ण जानकारी प्राप्त हो सके।🙏
🚨 पैतृक संपत्ति का बंटवारा 2025 के नए नियम की प्रक्रिया एवं अपने संपत्ति काअधिकार के साथ क्या सावधानियां होगी लिए उनके बारे में विस्तृत वर्णन कर आप सबको समझते हैं।
🔰 Ancestral Property Rights 2025 : हमारे भारतीय कल्चर एवं हमारे भारतीय समाज में पूर्वजों की संपत्ति यानी पैतृक संपत्ति का सवाल सदियों से बेहद जटिल एवं संवेदना सेल रहा है। यह संपत्ति ऐसी संपत्ति होती है जिसको लोग बोलचाल की भाषा में इसे अचल संपत्ति कहते हैं, यह संपत्ति ऐसी होती है जो पीढ़ी दर पीढ़ी एक परिवार से बढ़ते हुए दूसरे तीसरे परिवार में बरसों से यह प्रचलन चलती आई है और जिसमें हर वंश का जन्म से अधिकार होता है। कई बार व्यक्ति यह भी मान लेते हैं कि हमारे पैतृक संपत्ति में केवल हमारे पिता जी से ही यह संपत्ति जुड़ी होती है, दरअसल यह संपत्ति हमारे पूर्वजों की धरोहर रहते आई है पीढ़ी दर पीढ़ी लोगों से पैतृक संपत्ति में हिस्सेदारी होते आई है हमारे दादा, परदादा या उनसे भी पहले के हमारे पूर्वज या उनके वंशज की होती है। इसमें ना बेटों का ही संपत्ति होती है बल्कि हमारे पूर्वज्जो की संपत्ति में बेटियों का भी समान अधिकार होता है।
⚜️ पैतृक संपत्ति में हिस्सेदारी का कानूनी प्रावधान के आधार क्या है?
✅ जैसा कि आप सब जानते हैं हमारे भारत में हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम के तहत पूर्वज की तांत्रिक संपत्ति में बेटा बेटी दोनों बराबर की अधिकारी होते हैं। जैसे की कोई बच्चा पैदा लेता है वह इस पत्र संपति में अपना हिस्से का हकदार जन्म मात्र से ही बन जाता है। यदि किसी मूल माली की मृत्यु हो गई है तो यह पैतृक संपत्ति उनके पत्नी ,बेटे, बेटियों और मां में समानता रूप में बट जाती है। इस अचल संपत्ति के हिस्सेदार एवं संपत्ति के हिस्से की गणना करते वक्त परिवार की सभी व्यक्तियों को जिन जाता है उसके बाद फिर सदस्यों के अनुसार किसका कितना हिस्सेदारी होगा यह तय किया जाता है।
अगर आप में में से कोई भी व्यक्ति यदि अपने पूर्वज की पैतृक संपत्ति में अपने संपत्ति का हिस्से को अलग करना चाहता है, तो सबसे पहले यह स्पष्ट करना होता है कि उसे व्यक्ति की पैतृक संपत्ति में उनका कितना है सा अधिकारी तौर पर बनता है। इसके अलावा उसे व्यक्ति को सबसे पहले पारिवारिक वंशावली एवं पुराने संपत्ति रिकॉर्ड का भी सहारा लेना पड़ता है ताकि उनको उनके पैतृक संपत्ति की सारी सही जानकारी उनको मिल सके।
🟢 जरूरी कागजात और उनकी तैयारी
पूर्वजों की अचल संपत्ति यानी की पैतृक संपत्ति का नामांतरण करने हेतु सबसे आवश्यक लगने वाले कागजात की संपूर्ण तैयारी कर लेनी होती है। इसमें से सबसे पहले महत्वपूर्ण अहम दस्तावेज खतौनी और खसरा नंबर की प्रमाणित प्रति जरूरी होती है, जिसे कचहरी या पटवारी कार्यालय से प्राप्त किया जा सकता है। इनके बाद मुख्य दस्तावेज जैसे की पैतृक संपत्ति का मूल मलिक का मृत्यु प्रमाण पत्र एवं वंशावली प्रमाण पत्र साथ ही उनसे जुड़ी कोई एक पहचान से जुड़े कागज टी जैसे की राशन कार्ड ,वोटर आईडी कार्ड ,आधार कार्ड,पैन कार्ड जैसे जरूरी कागजात तैयार कर रखना चाहिए।
वंशावली प्रमाण पत्र यह साफ तौर पर साबित करता है कि पैतृक संपत्ति में आप असल तौर पर उत्तराधिकार है। इस प्रकार के कागजात कचहरी कार्यालय या राजस्व विभाग से बनवाना पड़ता है, जिसमें आपके पूरे परिवार का विवरण और उनके हिस्से की संपूर्ण जानकारी होती है।
🟡 राजस्व विभाग में किस तरह आवेदन की प्रक्रिया करनी होती है।
जब सभी तरह के कागजात तैयार कर लिए जाते हैं तो उनका अगला कदम होता है कचहरी या राजस्व विभाग में जाकर नामांतरण के लिए आवेदन फार्म जमा करना। आवेदन पत्र में पैतृक संपत्ति की संपूर्ण जानकारी आवेदक करता की जानकारी एवं उनके हिस्सेदारी का स्पष्ट वर्णन करना जरूरी होता है। साथ ही सभी तरह की आवश्यक कागजात की प्रमाणित एक प्रतियां संलग्न करनी होती है।
आवेदन जामा करने के बाद सबसे पहले इन सारी जरूरी दस्तावेज की जांच अधिकारी अपने अस्तर से करते हैं। अगर किसी भी तरह की कोई भी दस्तावेज में त्रुटि पाई जाती है तो उसे पूर्ण करने का अधिकारी निर्देश दिया जाता है। सभी जरूरी कागजात सही पाए जाने के उपरांत आवेदन करता का आवेदन स्वीकार कर लिया जाता है और आगे की संपूर्ण प्रक्रिया शुरू हो जाती है।
⚜️ सत्यापन और जमीन का सर्वेक्षण किस प्रकार की जाती है।
आवेदन करता का आवेदन स्वीकृत होने के बाद ही कचहरी या अन्य राजस्व अधिकारी जो जमीन का भौतिक सर्वेक्षण करते हैं इस दौरान जमीन की वर्तमान स्थिति, एवं उसकी सीमा और तत्काल समय में कब्जा धारी की संपूर्ण जांच पुष्टि की जाती है। आस पास के रहने वाले लोगों से भी पूछताछ की जाती है ताकि हर तरीके से स्वामित्व की स्पष्ट पुष्टि हो सके।
अगर इस दौरान किसी भी तरह की कोई आपत्ति या किसी भी तरह का विवाह सामने आता है तो उसे समाधान कर सुलझाने का प्रयास किया जाता है। परिवार के अन्य सदस्य को भी संपूर्ण जानकारी दी जाती है ताकि वे लोग चार्ट को अपनी बात को शांति पूर्वक रख सके। जब यह सारी प्रक्रिया पूरी कर ली जाती है तो अधिकारी के द्वारा एक सर्वे रिपोर्ट तैयार किए जाते हैं।
🟢 सार्वजनिक नोटिस और आपत्तियों का समाधान किस प्रकार होता है।
सर्वेक्षण तथा सत्यापन के बाद ही अगला प्रक्रिया शुरू होता है सार्वजनिक नोटिस जारी करने के बाद यह नोटिस संबंधित राजस्व कार्यालय में एक प्रति लगाया जाता है साथ ही इसमें प्रस्तावित नामांतरण की विशिष्ट जानकारी होती है। कोई भी व्यक्ति यदि इस पर अपनी आपत्ति व्यक्त करना चाहता है तो उसे एक महीना के भीतर यानी 30 दिनों के अंदर अपनी आपत्ति दर्ज करने होती है।
यदि किसी भी तरह की कोई आपत्ति आती है तो उसकी संपूर्ण जांच की जाती है और उन सभी पक्षों को एक निश्चित समय सुनवाई का दिया जाता है। जरूरत होने पर इस मामले को जिला अदालत में भी पेश किया जा सकता है। यदि किसी भी तरह की कोई आपत्ति नहीं आती है या सभी आपत्तियों का आपस में निराकरण हो जाता है तो नामांतरण की प्रक्रिया आगे की ओर बढ़ा दी जाती है।
🟢 अंतिम आदेश और नामांतरण किस प्रकार से किया जाता हैं।
सभी तरह के प्रक्रिया पूर्ण होने के बाद ही तहसीलदार के द्वारा अधिकारी नामांतरण का अंतिम आदेश जारी करते हैं। इसके बाद जमीन के सारे कागज में नए मालिक का नाम दर्ज कारा दिया जाता है साथ ही नई खतौनी नए सिरे से तैयार की जाती है,जिसमें साफ तौर पर आवेदक की संपति कागजात पर कानूनी हकदार मान ली जाती हैं।
नामांतरण प्रक्रिया संपूर्ण होने पर आवेदक को न्यूट्रिशन सर्टिफिकेट यानी नामांतरण प्रमाण पत्र दे दिया जाता है जो कि उनके संपत्ति पर उनके स्वामित्व का कानूनी अधिकार साबित होता है। इसके बाद सारे रिकॉर्ड को भी अपडेट कर दिया जाता है और अब से संपत्ति कर का नया भुगतान नए संपत्ति मलिक के द्वारा किया जाता है।
🟢 कुछ जरूरी बातें एवं सावधानियां के सुझाव
पुरी प्रक्रिया में सबसे अहम बात यह होती है कि सभी तरह के जरूरी दस्तावेज सही और प्रमाणित हो। ताकि किसी भी तरह का किसी के द्वारा नकली कागजात का प्रयोग ना हो सके क्योंकि इससे कानूनी कठिनाइयां हो सकती है। साथ ही परिवार के अन्य सदस्य गण से उनकी सहमति से बातचीत कर लेना बेहतर होता है, ताकि किसी भी तरह का भविष्य में कोई विवाद उत्पन्न ना हो सके।
अगर पैतृक संपत्ति को लेकर पहले से ही विवाद चल रहा है, तो सबसे पहले उस जमीनी विवाद का समाधान कानूनी तरीके से कर लेनी चाहिए। जरूरत पड़ने पर किसी विशिष्ट सलाहकार अनुभवी वकील से सलाह जरूर लें। एक बार नामांतरण हो जाने के उपरांत संपत्ति से जुड़े कागजात को सुरक्षित रखें और समय-समय पर उनकी जांच करते रहे।
🔴 Disclaimer : यह लेख सामान्य तौर पर जानकारी के उद्देश्य से लिखी गई है। संपत्ति से सभी नियम राज्यवार अलग हो सकते हैं। किसी भी तरह की निर्णय लेने से पहले कानूनी विशेष्य आज्ञा से सलाह अवश्य कर लें।
।।🙏 धन्यवाद 🙏।।
